रतलाम – खेतों में मटर की फसल खराब होने और मंडी में कीमतें गिरने से किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ने किसानों को अपनी आजीविका और अपनी फसलों के भविष्य को लेकर चिंतित कर दिया है।
अप्रत्याशित मौसम पैटर्न और बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ खेती पहले से ही एक चुनौतीपूर्ण पेशा है। हालाँकि, मटर के खराब होने और कीमतों में गिरावट को लेकर किसानों के सामने आई हालिया दुविधा ने उनकी चिंताओं को बढ़ा दिया है। यह दोहरा झटका उनकी आय और समग्र स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता है।
मौसम की मार ने मटरफली का निकाला दम
मावठे में बारिश से मटर बर्बाद हो गई है, खेत गीले होने से कटाई में दिक्कत आ रही है। लगातार बारिश और उमस से फसलों को भी नुकसान हुआ है. फसल अभी आधी ही पूरी हुई है और किसानों को फसल बर्बाद होने से नुकसान हो रहा है। मंडी में कम गुणवत्ता के कारण मटर 25 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है, जबकि पेंसिल मटर 35 रुपये किलो बिक रहा है. जबकि पहले मावठे के बाद किसानों को अच्छा उत्पादन और दाम मिल रहे थे.
किसानों का कहना है कि पिछले आठ-दस दिनों से लगातार हो रही बारिश से मटर की फसल को काफी नुकसान हुआ है. कोहरे और सुबह की ओस के कारण खेतों में अभी भी नमी है, जिससे पकी हुई फलियां काली पड़ गई हैं। इससे मजदूरों को कटाई में दिक्कत हो रही है और फलियों की जगह पौधे निकल रहे हैं।
व्यापारी ने बताया कि मावठ में बारिश से पहले मटर न केवल रतलाम बल्कि उज्जैन जिले से भी आ रहा था। हालाँकि,मावठे ने काफी नुकसान किया। उम्मीद से आधी उपज ही आई है। मंडी में पांच से छह हजार क्विंटल पहुंच रहा है। किसानों को मटर की गुणवत्ता के अनुसार दाम मिल रहे हैं।