Anaj Mandi

Ashta Mandi news

Farmer spray Insecticides to crop

प्याज और लहसुन में नुकसान: मौसम की मायूसी का सामना

मौसम में उतार-चढ़ाव और कोहरा: किसानों की चिंता

जानिये कैसे हाल ही में हुए मौसम के उतार-चढ़ाव और कोहरे के कारण किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए कैसे जुझना पड़ रहा है?

मौसम का बदलता स्वरूप

हाल के कुछ दिनों से मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव और कोहरा छाया हुआ है। इसका असर प्याज, लहसुन, और गेहूं की फसलों पर बड़ा है। किसान इस समय चिंता में हैं, क्योंकि इसमें उनकी मेहनत की फसलें भी खतरे में हैं।

फसलों में नुकसान के कारण

प्याज, लहसुन, और गेहूं की फसलों में हो रहे नुकसान के पीछे कई कारण हैं। मौसम में नमी की कमी और जमीन में फफूंद लगने के कारण, फसलों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। कुछ स्थानों पर फसलें खराब हो गई हैं, और इससे किसानों को बड़ी चिंता है।

प्याज और लहसुन में विशेष नुकसान

इस समय, प्याज और लहसुन में सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। प्याज के पौधे पीले हो रहे हैं, और किसान लगातार दवाई का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन सुधार नहीं हो रहा है। लहसुन भी पीला पड़ रहा है, और किसान इसे बचाने के लिए सभी संभावित प्रयास कर रहे हैं।

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लगातार मौसम के खराब होने से प्याज लहसुन में दवाई का कर रहे छिड़काव

किसानों की चिंता

किसानों का कहना है कि पिछले 15 दिनों से मौसम फसल के लिए अनुकूल था, लेकिन उसके बाद से कोहरे की समस्या बढ़ गई है। इसके बावजूद भी फसलों में सुधार नहीं हो रहा है। कुछ किसान ने बताया कि प्याज की 50% फसल खराब हो चुकी है और लहसुन भी पीला पड़ रहा है।

किसानों के सुझाव और उम्मीदें

किसानों का मानना ​​है कि मौसम साफ होने के बाद फसलों की स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्हें सुझाव दिया जा रहा है कि वे अपनी फसलों की देखभाल में और भी सतर्क रहें और सही दवाईयों का प्रयोग करें।

किसानों की आत्मविश्वास और सजगता

किसान ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ये समस्याएं तो आती-जाती रहती हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और सजगता के साथ इस समस्या का सामना कर रहे हैं। वे दुसरी फसलों की बोवनी करने का निर्णय लेने के लिए तैयार हैं।

इस प्रकार, किसानों को इस समय में आत्मनिर्भर बने रहने के लिए सतर्क रहना है। मौसम की उतार-चढ़ाव और कोहरे की समस्या से निपटने के लिए सही उपायों का चयन करना होगा। किसानों को अगर अपनी फसलों की सुरक्षा में सफलता मिलती है तो इससे वे न केवल अपने लिए बल्कि समृद्धि के लिए भी एक मिसाल स्थापित करेंगे।

इस समय कोहरे के कारण हो रहे नुकसान को देखते हुए उन्होंने किसानों को सलाह दी है। उन्होंने बताया कि मौसम साफ होने पर फसल रिकवर कर सकती है और किसानों को योजनाएं बनाने में मदद की जा रही हैं।

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Climate change affect crops

मौसम में परिवर्तन से गेहूं, चना, मसूर को हो रहा है कीट, इल्ली प्रकोप

इस साल मौसम में बदलाव के कारण गेहूं, चना और मसूर जैसी फसलों में कीट और इल्ली का प्रकोप हो गया है। ये कीट फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. सोमवार को आष्टा कृषि विभाग के सहायक निदेशक द्वारा फसलों के निरीक्षण के दौरान भी यह प्रकोप देखा गया. आवश्यक उपाय कर फसलों को इससे बचाने की सलाह दी गयी. यह भी चेतावनी दी गई कि यह कीटों का प्रारंभिक चरण है और यदि दवा का छिड़काव कर नियंत्रण नहीं किया गया तो नुकसान अधिक होगा।

कृषि विभाग के एडीओ बीएस मेवाड़ा ने सोमवार को किलेरामा, चाचरसी व ताजपुरा गांवों का दौरा किया। उन्होंने गेहूं, चना और मसूर जैसी फसलों में कीटों और इल्ली का प्रकोप पाया। ये कीट फसलों की पत्तियों और फूलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।कृषि अधिकारियों ने किसानों को संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो संक्रमण और गंभीर हो जाएगा और फसलों को अधिक नुकसान होगा। ज्ञात हो कि दो दिन पहले अधिकारियों ने टिटोरिया, खामखेड़ा, मीना, सेवदा और पटैरिया गांवों का भी दौरा किया था, जहां उन्हें यही स्थिति मिली थी.

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90 हजार हेक्टेयर से अधिक रबी फसल

कृषि विभाग के अनुसार आष्टा क्षेत्र में 90 हजार हेक्टेयर से अधिक रबी फसल है। इस क्षेत्र में सबसे प्रमुख फसलें गेहूं हैं, इसके बाद चना और मसूर हैं। क्षेत्र के अधिकांश किसानों ने बुआई का काम पूरा कर लिया है और अब सिंचाई पर ध्यान दे रहे हैं। हालाँकि, उन्हें अपनी फसलों में कीटों और इल्ली प्रकोप से एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को चिंता है कि प्राकृतिक आपदा से उन्हें काफी परेशानी हो रही है.

आष्टा मंडी में रिकार्ड आवक

आष्टा कृषि मंडी में सोमवार को रिकार्ड तोड़ 13575 क्विंटल कृषि उपज की आवक हुई। सुबह की नीलामी में मंडी परिसर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से भर गया। हालांकि दोपहर बाद किसानों की संख्या कम हो गई। मंडी में गेहूं की कीमत शरबती किस्म के लिए 3040 से 3761, लोकवन किस्म के लिए 2550 से 2977 और पूर्णा किस्म के लिए 2730 से 3251 तक रही। चने की कीमतें कांटा किस्म के लिए 4370 से 5676, चना सफेद के लिए 7431 से 13800 तक रहीं। सोयाबीन के भाव 2500 से 5900 और मसूर के भाव 4300 से 5755 प्रति क्विंटल रहे.

ग्रामीण क्षेत्रों का लगातार दौरा हो रहा है. इस दौरे में गेहूं, चना और मसूर जैसी फसलों में लगने वाले कीट और रोगों का अवलोकन किया जा रहा है। किसानों को अपनी फसलों को इन कीटों से बचाने की सलाह दी जा रही है।

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