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Panmethi Crop affect due to fog

कोहरे की चपेट में आई पान मेथी की फसल , तिरपाल से बचाव

क्या होगा जब समय की धूप अपना चेहरा देखाएगी नहीं, और कोहरा लगातार 10 दिनों तक अपना राज बनाए रखेगा? नए साल ने अपने साथ एक अनूठा मौसम लेकर आया है, जिसने न केवल धूप को देखने का मौका दिया है, बल्कि सर्दी की बर्फीली चादर में पृथ्वी को लपेट लिया है। किसानों में हलचल मची हुई है, क्योंकि कोहरे की गहरी छाया ने किसानों की मेहनत को और पेड़-पौधों को भी प्रभावित कर दिया है।

नए साल के 10 दिनों के बाद भी, धूप की किरणें किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इसका परिणाम स्थानीय आबादी के लिए चिंता का कारण बना है, जबकि सर्दी ने पेड़ों और पौधों को नष्ट कर दिया है। ग्रामीणों की बातचीत से पता चलता है कि यह स्थिति पहली बार हुई है जब ऐसा हो रहा है कि 10 दिन तक कोहरा बना रहता है और धूप का सामान्य समय नहीं हो पा रहा है।

Panmethi Crop affect due to fog
Panmethi Crop affect due to fog

किसानों को लेना पड़ रहा तिरपाल का सहारा

खजवाना क्षेत्र के कई गांवों में पान मेथी की बुआई हो रही है, लेकिन सर्दी के कारण पान मेथी को सुखाने में अधिक समय लग रहा है। ढाढ़रिया कला, ढाढ़रिया खुर्द, देशवाल, रूण, इंदोकली, निम्बड़ी, जनाणा और अन्य क्षेत्रों में भी यह समस्या देखी जा रही है। किसानों को अपने पौधों को कोहरे से बचाने के लिए तिरपाल का सहारा लेना पड़ रहा है। इस बार सर्दी ने पेड़ों और पौधों को भी प्रभावित किया है, जिन्हें बचाने के लिए किसानों को और भी मेहनत करनी पड़ रही है।

पानमेथी सुखाना हो रहा मुश्किल

पहले विश्व प्रसिद्ध पान मेथी के भावों ने किसानो परेशान किया, और अब इसके बाद, लगातार कोहरे ने किसानो को और भी परेशान कर दिया है। जो पहले 3 दिनों में सूखती थी, अब वह 5 से 6 दिनों में सुख रही है, और इसमें तिरपाल से ढकना अत्यंत आवश्यक बन गया है|

मैंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा कोहरा देखा है जिसने पौधों को जला दिया है, और इससे धूप को देखना भी कठिन हो गया है। इस अनूठे कोहरे में, पेड़-पौधे तक जल गए हैं।

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आपकी फसलें सुरक्षित कैसे रहेंगी: किसानों के लिए सही कीटनाशक का चयन और उपयोग

नागौर – क्या आपने कभी सोचा है कि रबी की फसलों में होने वाले रोगों और कीटाणुओं से निपटना कितना कठिन हो सकता है? नहीं ना? लेकिन यह सच है कि किसानों को इस समस्या का सामना करते हुए अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए किटनाशकों की आवश्यकता है, और यह बहुत बड़ी चुनौती है।

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अवैध कीटनाशकों से निपटने की चुनौती

रबी की फसलों में होने वाले रोगों के साथ-साथ, बाजार में अवैध कीटनाशकों का व्यापार हो रहा है, जिससे किसानों को और भी ज्यादा नुकसान हो रहा है। कुछ समय पहले हुए एक घटना ने दिखाया कि गलत कीटनाशक का छिड़काव करने से मूंग की फसल जल गई, जिससे किसानों को बड़ा मुआवजा की बजाय नुकसान हुआ।

इस समस्या को लेकर चेतावनी दी है कि अवैध कीटनाशकों का उपयोग करने से बचने के लिए किसानों को कृषि विभाग द्वारा सुनिश्चित कीटनाशकों का उपयोग करने का सुझाव दिया जा रहा है। वह बताते हैं कि किसानों को कृषि विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले शिविरों में जाकर सही जानकारी हासिल करनी चाहिए ताकि उन्हें अच्छे कीटनाशक मिल सके।

इस बढ़ते हुए समस्या का समाधान करने के लिए, कृषि अधिकारी शंकरराम सियाक ने इसबगोल और जीरा की फसलों में लगने वाले कीटाणुओं और रोगों के खिलाफ निम्नलिखित उपाय बताए हैं:

इसबगोल की फसल

  • धब्बा / अंगमारी रोग: मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी. का 0.2% पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करें।
  • तुलासिता रोग: मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी. या रिडोमिल एम जेड 78 की 0.2% पानी में घोल कर छिड़काव करें।
जीरा की फसल
  • मोयला का नियंत्रण: डायमिथोएट 30 ईसी, मैलाथियॉन 50 ईसी, या इमिडोक्लोप्रीड 17.8 एस एल का उपयोग करें।
  • झुलसा (ब्लाइट) रोग: टॉप्सिन एम, मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी., या थाइरम का उपयोग करें।
  • उखटा (विल्ट) रोग: कार्बेण्डेजिम 50% डब्ल्यू.पी. से बुआ

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