Anaj Mandi

आपकी फसलें सुरक्षित कैसे रहेंगी: किसानों के लिए सही कीटनाशक का चयन और उपयोग

नागौर – क्या आपने कभी सोचा है कि रबी की फसलों में होने वाले रोगों और कीटाणुओं से निपटना कितना कठिन हो सकता है? नहीं ना? लेकिन यह सच है कि किसानों को इस समस्या का सामना करते हुए अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए किटनाशकों की आवश्यकता है, और यह बहुत बड़ी चुनौती है।

Choose best Fertilizer for crop
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अवैध कीटनाशकों से निपटने की चुनौती

रबी की फसलों में होने वाले रोगों के साथ-साथ, बाजार में अवैध कीटनाशकों का व्यापार हो रहा है, जिससे किसानों को और भी ज्यादा नुकसान हो रहा है। कुछ समय पहले हुए एक घटना ने दिखाया कि गलत कीटनाशक का छिड़काव करने से मूंग की फसल जल गई, जिससे किसानों को बड़ा मुआवजा की बजाय नुकसान हुआ।

इस समस्या को लेकर चेतावनी दी है कि अवैध कीटनाशकों का उपयोग करने से बचने के लिए किसानों को कृषि विभाग द्वारा सुनिश्चित कीटनाशकों का उपयोग करने का सुझाव दिया जा रहा है। वह बताते हैं कि किसानों को कृषि विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले शिविरों में जाकर सही जानकारी हासिल करनी चाहिए ताकि उन्हें अच्छे कीटनाशक मिल सके।

इस बढ़ते हुए समस्या का समाधान करने के लिए, कृषि अधिकारी शंकरराम सियाक ने इसबगोल और जीरा की फसलों में लगने वाले कीटाणुओं और रोगों के खिलाफ निम्नलिखित उपाय बताए हैं:

इसबगोल की फसल

  • धब्बा / अंगमारी रोग: मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी. का 0.2% पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करें।
  • तुलासिता रोग: मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी. या रिडोमिल एम जेड 78 की 0.2% पानी में घोल कर छिड़काव करें।
जीरा की फसल
  • मोयला का नियंत्रण: डायमिथोएट 30 ईसी, मैलाथियॉन 50 ईसी, या इमिडोक्लोप्रीड 17.8 एस एल का उपयोग करें।
  • झुलसा (ब्लाइट) रोग: टॉप्सिन एम, मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी., या थाइरम का उपयोग करें।
  • उखटा (विल्ट) रोग: कार्बेण्डेजिम 50% डब्ल्यू.पी. से बुआ

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