Anaj Mandi

छह एकड़ में चार लाख रुपए की बचत: जैविक खेती का कमाल

जरा सोचिए, क्या आपको छह एकड़ जमीन में चार लाख रुपए की बचत की संभावना है? यह सोचकर आपको शायद हंसी आ रही है, लेकिन यह सपना अब सच्चाई बनता जा रहा है।

जैविकखेती एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से किसान अपने फसलों की पैदावार को बढ़ा सकते हैं और खर्च कम कर सकते हैं। यह विधि पेशेवर किसानों के लिए एक बड़ा लाभदायक द्वार हो सकती है, जिससे उन्हें न केवल आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि उनके परिवार की मानसिकता में भी सुधार होगा।

जैविकखेती के इस कमाल के बारे में और अधिक जानने के लिए, हम इस लेख में आपको बताएंगे कि कैसे छह एकड़ में चार लाख रुपए की बचत की जा सकती है। यह तकनीक किसानों को उनकी मेहनत के मुताबिक खेती के लिए पुराने और नए तरीकों की प्रयोग करने का मौका देती है। इसलिए, आइए जानें कि यह कैसे संभव हो सकता है और किसानों को कैसे इस नयी तकनीक का उपयोग करके लाभ मिल सकता है।

Farmer showing crop

मुकेश की कहानी

मुकेश ने बारह एकड़ जमीन खरीदी लेकिन अब उनके पास खेती के लिए पैसे नहीं बचे हैं। केले की फसल उगाने में उन्हें लाखों की लागत आ रही थी. वे आर्थिक रूप से तनाव महसूस कर रहे थे लेकिन फिर भी उनमें खेती का जुनून था। इसलिए, उन्होंने यूट्यूब पर खोज शुरू की और जैविक खेती पर मार्गदर्शन पाया। इसके बाद वे जैविक केले उगाने को लेकर उत्साहित हो गए।

कैसे तैयार करें खाद सस्ते में

जैविक खेती में मेहनत तो लगती है, लेकिन लागत ज्यादा नहीं आती। बाजार से फल लेकर डिकम्पोस्ट तैयार करते हैं। इसमें बहुत अधिक सामग्री की आवश्यकता नहीं होती. बाजार से अपशिष्ट पदार्थ मिल जाता है। मुकेश ने 12 एकड़ के खेत में से 6 एकड़ में चना और 6 एकड़ में केले के पौधे लगाते हैं। मुकेश के पास खेतों में जैविक खाद तैयार करने की व्यवस्था है।

हर पेड़ पर 50 से 60 रुपये कैसे बचाएं

मुकेश के मुताबिक, केले की फसल उगाना महंगा है। एक पेड़ पर रासायनिक विधि का प्रयोग करने में लगभग 50-60 रूपये का खर्च अधिक आता है। अगर आप छह एकड़ में 8,000 पेड़ लगाएंगे तो करीब चार लाख रुपये का खर्च आएगा. जैविक खेती करके इस लागत से बचा जा सकता है। अगर केले का बाजार भाव अच्छा हो तो मुनाफा दोगुना हो सकता है

केले की जैविक खेती से अच्छे परिणाम मिलते हैं। कम लागत में अच्छी आमदनी के लिए जैविक खेती की सलाह दी जाती है। पिछली फसलों का बचा हुआ हिस्सा भी पेड़ों को पोषण देता है।

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