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Madhyapradesh Mandi News

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छिंदवाड़ा कृषि उपज मंडी में आज से ई-मंडी योजना की शुरुआत

क्या आपने सुना है कि आज से एक नई योजना की शुरुआत हो रही है?

 जिसमें पहले चरण में कम आवक वाली किसान उपजों पर लागू होगी? हाँ, राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने अ वर्ग की श्रेणी में आने वाली मंडियों के लिए ई-मंडी योजना को लागू किया है। इसके तहत, छिंदवाड़ा में भी कृषि उपज मंडी में कुछ नई क्रियाएं शुरू हो रही हैं।

ई-मंडी योजना: किसानों के लाभ का एक नया क्षेत्र

इस योजना के अंतर्गत, सोयाबीन, चना, तुअर, मूंग, उड़द, और अन्य कम आवक वाली उपजों की नीलामी तक की प्रक्रिया ई-मंडी के माध्यम से होगी। 17 जनवरी से इस प्रक्रिया को कृषि उपज मंडी में लागू किया जा रहा है।

ऑनलाइन प्रवेश पर्ची

इसमें ई प्रवेश पर्ची के माध्यम से होगी शुरुआत, जिसमें प्रवेश द्वार में कर्मचारी द्वारा किसान के नाम, पता, मोबाइल नंबर, कृषि उपज का नाम, मात्रा आदि की ऑनलाइन प्रवेश पर्ची जारी की जाएगी। किसान घर बैठे भी ऑनलाइन प्रवेश पर्ची बना सकेंगे।

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ई- अनुबंध: नीलामी से लेकर भाव तक का सफर

ई- अनुबंध में पीओएस मशीन में किसान की ऑनलाइन प्रवेश पर्ची का नंबर दर्ज करने के साथ नीलामी प्रक्रिया शुरू होगी। बोली में उच्चतम भाव से संतुष्ट होने पर भाव एवं क्रेता फर्म का मान नंबर दर्ज कर सुरक्षित कर दिया जाएगा। ऑनलाइन अनुबंध जारी करने के बाद, एक पर्ची किसान और एक पर्ची क्रेता फर्म को दी जाएगी। इस प्रकार ई तौल और ईभुगतान पत्रक भी जारी होगा।

ऑनलाइन व्यवसाय: ईमंडी एप का उपयोग

इसमें क्रेता व्यापारी या फर्म ईमंडी एप पर लॉगिन करने पर ऑनलाइन अनुबंध तौल आदि की जानकारी दिख जाएगी। यह नई पहल में किसानों को स्वतंत्रता और सुरक्षा का अहसास कराएगा और उन्हें व्यापारिक प्रक्रियाओं में और भी सुधार करने का अवसर देगा।

नए योजना से होने वाले लाभ

इस नई योजना के माध्यम से होने वाले लाभों की बात करते हुए, किसानों को ऑनलाइन प्रक्रिया का सीधा और सुरक्षित लाभ होगा। यह उन्हें अधिक बाजार एक्सेस और उच्चतम मूल्य प्राप्त करने में मदद करेगा। साथ ही, ऑनलाइन प्रवेश पर्ची के माध्यम से तत्परता को बढ़ावा मिलेगा और व्यापारिक प्रक्रियाओं में भी सुधार होगा।

समाप्ति की ओर: नई योजना का नया दौर
इस प्रयास से, हम एक नई दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं जो किसानों को बेहतर व्यवसायिक अवसर प्रदान करने के लिए है। यह नई योजना न केवल ऑनलाइन प्रक्रिया को सुगम और सुरक्षित बनाएगी, बल्कि कृषि उपजों को बेहतर बाजार तक पहुंचाने में भी सहारा प्रदान करेगी।

इस प्रकार, आज से शुरू हो रही नई ई-मंडी योजना के माध्यम से किसानों को व्यापारिक प्रक्रियाओं में नई दिशा में कदम बढ़ाने का एक नया मौका मिल रहा है। इस नए पहल के साथ हम आत्मनिर्भर और सुरक्षित कृषि सेक्टर की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, जिससे हमारे किसान भाइयों को और भी सुविधाएं मिलेंगी। इस योजना के माध्यम से होने वाले सकारात्मक परिणामों की प्रतीक्षा की जा रही है, जो हमारे कृषि समाज को एक नए युग में ले जाएगी।

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Farmer spray Insecticides to crop

प्याज और लहसुन में नुकसान: मौसम की मायूसी का सामना

मौसम में उतार-चढ़ाव और कोहरा: किसानों की चिंता

जानिये कैसे हाल ही में हुए मौसम के उतार-चढ़ाव और कोहरे के कारण किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए कैसे जुझना पड़ रहा है?

मौसम का बदलता स्वरूप

हाल के कुछ दिनों से मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव और कोहरा छाया हुआ है। इसका असर प्याज, लहसुन, और गेहूं की फसलों पर बड़ा है। किसान इस समय चिंता में हैं, क्योंकि इसमें उनकी मेहनत की फसलें भी खतरे में हैं।

फसलों में नुकसान के कारण

प्याज, लहसुन, और गेहूं की फसलों में हो रहे नुकसान के पीछे कई कारण हैं। मौसम में नमी की कमी और जमीन में फफूंद लगने के कारण, फसलों की ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। कुछ स्थानों पर फसलें खराब हो गई हैं, और इससे किसानों को बड़ी चिंता है।

प्याज और लहसुन में विशेष नुकसान

इस समय, प्याज और लहसुन में सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। प्याज के पौधे पीले हो रहे हैं, और किसान लगातार दवाई का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन सुधार नहीं हो रहा है। लहसुन भी पीला पड़ रहा है, और किसान इसे बचाने के लिए सभी संभावित प्रयास कर रहे हैं।

Farmer spray Insecticides to crop
लगातार मौसम के खराब होने से प्याज लहसुन में दवाई का कर रहे छिड़काव

किसानों की चिंता

किसानों का कहना है कि पिछले 15 दिनों से मौसम फसल के लिए अनुकूल था, लेकिन उसके बाद से कोहरे की समस्या बढ़ गई है। इसके बावजूद भी फसलों में सुधार नहीं हो रहा है। कुछ किसान ने बताया कि प्याज की 50% फसल खराब हो चुकी है और लहसुन भी पीला पड़ रहा है।

किसानों के सुझाव और उम्मीदें

किसानों का मानना ​​है कि मौसम साफ होने के बाद फसलों की स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्हें सुझाव दिया जा रहा है कि वे अपनी फसलों की देखभाल में और भी सतर्क रहें और सही दवाईयों का प्रयोग करें।

किसानों की आत्मविश्वास और सजगता

किसान ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ये समस्याएं तो आती-जाती रहती हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और सजगता के साथ इस समस्या का सामना कर रहे हैं। वे दुसरी फसलों की बोवनी करने का निर्णय लेने के लिए तैयार हैं।

इस प्रकार, किसानों को इस समय में आत्मनिर्भर बने रहने के लिए सतर्क रहना है। मौसम की उतार-चढ़ाव और कोहरे की समस्या से निपटने के लिए सही उपायों का चयन करना होगा। किसानों को अगर अपनी फसलों की सुरक्षा में सफलता मिलती है तो इससे वे न केवल अपने लिए बल्कि समृद्धि के लिए भी एक मिसाल स्थापित करेंगे।

इस समय कोहरे के कारण हो रहे नुकसान को देखते हुए उन्होंने किसानों को सलाह दी है। उन्होंने बताया कि मौसम साफ होने पर फसल रिकवर कर सकती है और किसानों को योजनाएं बनाने में मदद की जा रही हैं।

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Farmer using emandi features

बड़ोरा मंडी में ऑनलाइन कटेगी प्रवेश पर्ची और तुलाई पर्ची: ई-मंडी से किसानों को नई सुविधाएं

आधुनिक तकनीकी युग में, भारतीय कृषि सेक्टर भी डिजिटल मोड में परिवर्तन कर रहा है, और इसी सिलसिले में बड़ोरा मंडी को ई-मंडी में बदलने की योजना शुरू की गई है। इस नए कदम से किसानों को अपनी उपज को बेचने में नई सुविधाएं मिलेंगी, जो उन्हें आसानी से और सुरक्षित तरीके से अपना व्यापार करने का अवसर देगा। यह लेख बताता है कि कैसे बड़ोरा मंडी को ई-मंडी में बदलने से किसानों को अनलॉक होगा और कृषि व्यापार में डिजिटल सुधार कैसे होगा।

क्या बड़ोरा मंडी को ई-मंडी बनाने से किसानों को होगा फायदा? इसका असर कृषि व्यापार में कैसे दिखेगा? इन सवालों के साथ, बड़ोरा मंडी को ई-मंडी में बदलने की पहल की गई है, जिससे किसानों को कई सुविधाएं मिलेंगी।

Farmer using emandi features
Farmer using emandi features

बड़ोरा मंडी को ई-मंडी में बदलने के लिए मंडी सचिव सहित मंडी निरीक्षकों को हरदा की ऑनलाइन मंडी में किए जा रहे कार्य से अवगत कराया गया है। इस परिवर्तन से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को प्रवेश पर्ची के लिए कतार में खड़ा होना नहीं पड़ेगा, और वे अपनी उपज को ई-मंडी के माध्यम से आसानी से बेच सकेंगे।

मोबाइल से प्रवेश पर्ची और तौल पर्ची

  • ई-मंडी के लॉन्च के बाद, किसान अपने मोबाइल में एप डाउनलोड करके प्रवेश पर्ची काट सकेंगे और मंडी में उपस्थित तुलाई पर्ची भी ऑनलाइन निकाल सकेंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें अपनी उपज को बेचने में कोई दिक्कत नहीं होगी और सारे प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाए रखा जाएगा।

इस परिवर्तन से किसानों को लाइन में लगकर प्रवेश पर्ची के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि वे घर बैठे ही मोबाइल में एप डाउनलोड करके प्रवेश पर्ची काट सकेंगे। यह नए तकनीकी उपायों के माध्यम से किसानों को सुविधा प्रदान करने का एक प्रमुख कदम है और उन्हें अपनी उपज को बेचने में आसानी होगी।

  • ई-मंडी के लॉन्च के साथ, बड़ोरा मंडी में तौल पर्ची भी ऑनलाइन काटी जाएगी। इसके लिए पीओएस मशीन खरीदी जाएगी, जिससे तौल पर्ची काटने की प्रक्रिया में भी सुधार होगा। ऑनलाइन प्रक्रिया में तुलैया को भी प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे उन्हें ऑनलाइन मंडी में अपनी उपज बेचने में मदद मिलेगी। 

ई-मंडी बनने के बाद, बड़ोरा मंडी का व्यापार ऑनलाइन होगा और तौल पर्ची भी ऑनलाइन काटी जाएगी, जिससे समय और ऊर्जा की बचत होगी। यह परिवर्तन कृषि सेक्टर में डिजिटलीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो किसानों को नए और आसान तरीकों से उपज बेचने का अवसर प्रदान करेगा।

हरदा मंडी को ई-मंडी में बदलने के लिए भोपाल में एमडी और कृषि सचिव द्वारा आयोजित की गई ट्रेनिंग के पश्चात्, ई-मंडी की शुरुआत की तैयारी में हो रही है। आने वाले समय में, किसान अब अपनी उपज की ऑनलाइन प्रवेश पर्ची घर बैठे ही काट सकेंगे, और तुलाई पर्ची भी ऑनलाइन होगी। इसके लिए तैयारी जोरों पर है और किसानों को सही दिशा में मार्गदर्शन के लिए प्रचार-प्रसार का भी प्रोत्साहन किया जा रहा है। साथ ही, व्यापारिक समूहों के साथ बैठकें बुलाई जा रही हैं, ताकि उन्हें भी इस नए डिजिटल परिवर्तन की सहायता मिले। इस प्रक्रिया के माध्यम से, जल्द ही मंडी में ऑनलाइन कार्य शुरू होने का इंतजार है।

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Lehsun crop damage

किसानों की मुश्किल:लहसुन की फसल में बीमारी और पीलापन की समस्या

क्या है अंचल क्षेत्र के लहसुन उत्पादक किसानों की नई समस्या?

अंचल क्षेत्र के लहसुन उत्पादक किसानों को एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उनकी खेतों में एकाएक बीमारी फैलने लगी है और कई जगहों पर फसल पीली होकर सूख रही है। किसानों का कहना है कि मच्छर और थ्रिप्स के कारण इस बीमारी का प्रकोप हो रहा है, जिससे फसल पर नकारात्मक प्रभाव हो रहा है।

Lehsun crop damage
Lehsun crop damage

किसानों की समस्या: पानी की कमी और फसल का सूखना

किसानों ने बताया कि इस बार पानी की कमी के बावजूद भी उन्होंने लहसुन की बुआई की थी, लेकिन फिर भी फसल के पत्ते सूखकर गिर रहे हैं। ये समस्या न केवल पौधा सूखने की ओर बढ़ा रही है, बल्कि इससे पौधा में पौष्टिकता की कमी भी हो रही है। किसानों ने बताया कि मौसम परिवर्तन और कोहरे के कारण काली मस्सी का प्रकोप भी हो रहा है, और इसके उपचार में असर नहीं दिखा रहा है।

कृषि विज्ञान केन्द्र का सुझाव: पीलापन रोकने के उपाय

किसानों ने कृषि विज्ञान केन्द्र से परामर्श लेने का फैसला किया है, और कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक जीएस चुंडावत ने बताया कि मौसम में होने वाले बदलाव से फफूंद जनित रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है। उनका सुझाव है कि लहसुन की फसल में पीलापन को रोकने के लिए प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी की 1 एमएल मात्रा या पूर्व मिश्रित फफूंद नाशक कार्बेडाजिम + मैनकोजेब की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव किया जा सकता है। इसके साथ ही पांच किलोग्राम सल्फर प्रति बीघा की दर से और 500 एमएल हेक्साकोनाजोल 5% ईसी की 10 किलो रेत में मिलाकर के प्रति बीघा की दर से भुरकाव किया जा सकता है।

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fog in crop area

खरगोन में मौसम में बदलाव , कोहरे के बाद फसलों पर इल्ली का प्रभाव

क्या आपने मौसम में हो रहे लगातार परिवर्तन का असर शनिवार को भी महसूस किया है?

मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन का शनिवार को भी असर दिखा। दूसरे दिन सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे और पूरे दिन कोहरे के आगोश में बीता। सूचना के अनुसार, शनिवार को दिनभर सूर्य देवता के दर्शन नहीं हुए और अधिकतम तापमान में भी थोड़ी कमी दर्ज की गई। इसके बावजूद, कोहरे के हटने के बाद फसलों पर इल्ली का प्रभाव बढ़ सकता है।

मौसम में परिवर्तन और ठंडी हवाएं के कारण लोग अब गर्म कपड़ों में लिपटे नजर आ रहे हैं। नए साल के पहले सप्ताह में अचानक हुई बूंदाबांदी और बारिश के बाद मौसम में ठंडक फैल गई है।

fog in crop area
fog in crop area

शनिवार के तापमान के अनुसार, न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। शुक्रवार को भी न्यूनतम तापमान 13.6 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 24.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।

किसानों के अनुसार

इस बारिश से गेहूं की फसल को फायदा हो सकता है, और यदि बारिश होती रही तो गोभी, मुली, आलू आदि फसल लगाने वाले किसानों ने इसे नुकसान पहुंचाने का खतरा बताया है।

कोहरे के हटने के बाद फसलों पर इल्ली का प्रभाव बढ़ सकता है, क्योंकि कोहरे के दौरान कीट-पतंगे फसलों की पत्तियों पर अंडे देते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों बाद मौसम में और बदलाव हो सकता है।

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Crop inside chhindwara mandi

तीन दिन में नहीं हो सका शेड से उपज का उठाव, किसानों का मक्का खुले मैदान में

व्यापारी की लाप्रवाही कहीं नहीं बन जाए किसानों के नुक्सान का बड़ा कारण ?

छिंदवाड़ा कृषि उपज मंडी कुसमेली में इतनी जगह है कि हर दिन एक लाख क्विंटल उपज की आवक हो, तो भी जाम जैसी स्थिति न बनेगी, लेकिन उठाव न होने के कारण स्थिति बिगड़ जाती है।

दरअसल, मंडी में कई व्यापारी अपनी उपज का उठाव मालगाड़ी रैक के अनुसार करते हैं। वे गोदाम ले जाने की बजाय, मंडी में ही अपने अनाज की बोरिया जमा रहने देते हैं। इससे किसानों को अपनी उपज खुले परिसर में ही ढेर करनी पड़ती है। ऐसे में यदि मौसम बिगड़ा और पानी की आफत बरसी तो इसका खमियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ता है। बारिश के कारण नमी से ढेर किए गए उपज के दाम कम हो जाते हैं।

Crop inside chhindwara mandi
Crop inside chhindwara mandi

वहीं खुले परिसर में भी रखी छल्लियों से वाहनों का आवागमन बाधित होता है।

इस सप्ताह दो दिनों में पिछली आवक करीब 60 हजार क्विंटल हो चुकी है, शुक्रवार को भी करीब 35 हजार क्विंटल की आवक दर्ज की गई। शनिवार एवं रविवार को नीलामी नहीं होगी। इस दौरान पूरी उपज का उठाव हो जाने से आने वाले सोमवार को किसानों को शेड के अंदर ही जगह मिल सकती है।

शुक्रवार की शाम को उन्होंने खुद मंडी में भ्रमण कर शेडों का निरीक्षण किया है। इनमें एक-दो व्यापारियों ने शेडों में काफी संख्या में अपनी बोरिया स्टॉक की है। उन्हें फोन करके दो दिनों के अंदर पूरी बोरियां हटाने के लिए कहा गया है।

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Lehsun in Crop Market

लहसुन के भाव में तेजी 27 हजार रु. क्विंटल के ऊपर, नवंबर 2022 अधिकतम भाव 4551 रुपए क्विंटल थे

क्या लहसुन के भावों में वृद्धि के पीछे का कारण क्या है? इस सवाल का उत्तर तलाशते हैं, हम देखते हैं कि वर्तमान में लहसुन के भाव आसमान छू रहे हैं और किसानों को अच्छे मुनाफे प्रदान कर रहे हैं।

शुरुआत में ही नए साल में लहसुन के भाव 27 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। इसमें कुछ कारणों का संघटन है, जैसे कि मांग के साथ-साथ क्वालिटी की भी बेहतरीन होना। व्यापारियों के मुताबिक, इस साल के शुरूआती दिनों से ही लहसुन की मांग में वृद्धि हो रही है और यह भाव में तेजी का कारण बन रही है।

विभिन्न गुणवत्ता के लहसुन के न्यूनतम भाव भी 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर हैं, जो इसमें महंगाई की बढ़ती हुई असर को दिखा रहा है।

कृषि उपज मंडी में लहसुन की आवक में कमी होने के बावजूद, देशभर में सर्दी के मौसम के कारण लहसुन की मांग बनी हुई है। रबी सीजन के दौरान देर से बोई जाने वाले लहसुन की आवक में कमी है, जिससे आवक और भी महंगा हो रहा है। 

वर्तमान में उपलब्ध लहसुन में बहुत अच्छी क्वालिटी होने के कारण भाव में वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही, हल्की क्वालिटी के लहसुन के न्यूनतम भाव भी उच्च हैं।

Lehsun in Crop Market
Lehsun in Crop Market

2022 में लहसुन का था बुरा हाल

अगर हम कोरोना काल की बात करें तो 2021 में लहसुन के भाव 25 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आस-पास थे, जो कि 2022 के मार्च तक बने रहे। लेकिन उसके बाद से भाव में लगातार गिरावट आई है। साल नवंबर 2022 में जब नया लहसुन आया, तो 1 नवंबर 2022 को अधिकतम भाव 4551 रुपए प्रति क्विंटल थे, जबकि न्यूनतम भाव केवल 351 रुपए प्रति क्विंटल थे।

नवंबर के अंत में हालात में सुधार हुआ, लेकिन दिसंबर में फिर भावों में गिरावट देखने को मिली। इसमें किसानों को लहसुन फेंकने पर मजबूर होने का भी असर था।

पिछले साल भी भाव दिखा नरम गरम

2023 में भी किसानों को लहसुन के अच्छे भाव के लिए तरस गया, क्योंकि अप्रैल 2023 में अधिकतम भाव 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल के नीचे ही रहे। पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में भाव में सुधार हुआ और 15 से 18 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आस-पास अधिकतम भाव रहे। नवंबर में 20 से 25 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आस-पास रहे। दो बार लहसुन के भाव 31 हजार रुपए प्रति क्विंटल के पार भी पहुंचे थे।

इस साल शुरुआत से ही मिल रहा अच्छा भाव

इस साल भी जनवरी के प्रारंभ से ही भाव 24 से 25 हजार रुपए प्रति क्विंटल रहे और 4 जनवरी से भाव 27 हजार रुपए प्रति क्विंटल बने हुए हैं। मंडी व्यापारियों के मुताबिक, सर्दी के मौसम में मांग ज्यादा होने से भाव अच्छे मिल रहे हैं और आगे भी मांग बनी रहने के कारण भाव इसी प्रकार रहेंगे।

इससे साफ होता है कि वर्तमान में लहसुन के भावों में वृद्धि होने के पीछे कई कारण हैं और ये भाव आने वाले समय में भी बने रह सकते हैं।

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मंदसौर मंडी में आवक में सुधार लेकिन भुगतान देरी से किसानों में आक्रोश

मंदसौर कृषि उपज मंडी में बुधवार को कृषि जिंसों की नीलामी में सुधार हुआ है। दिनभर के कारोबार में 9664 क्विंटल उपज नीलाम होने के बाद, खुशी की खबर यह है कि लहसुन, प्याज, सोयाबीन, गेहूं, और अलसी जैसी आवकों की नीलामी में भी सुधार हुआ है।

नीलामी का विवरण:

  • लहसुन: 7200 बोरियां, भाव 12500 से 24800 रुपए/क्विंटल
  • प्याज: 729 बोरियां, भाव 390 से 1950 रुपए/क्विंटल
  • सोयाबीन: 1160 बोरियां, भाव 4000 से 4801 रुपए/क्विंटल
  • गेहूं: 255 बोरियां, भाव 2450 से 3141 रुपए/क्विंटल
  • अलसी: 167 बोरियां, भाव 4821 से 5171 रुपए/क्विंटल
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किसानों की परेशानी:

दिनभर के कारोबार में होने वाली नीलामी में, कई किसानों को नकदी में भुगतान में देरी का सामना करना पड़ा। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें घंटों तक परेशानी झेलनी पड़ी, जिससे वे केंद्र पर भुगतान के लिए अटके रहे।

किसानों की आवाज:

किसानों ने बताया, “हम सोयाबीन लेकर आए थे जो नीलाम हो गई, लेकिन हमारा समय पर भुगतान नहीं हुआ। कई किसान केंद्र पर पहुंचे तो कोई नहीं मिला।

किसानों का विरोध:

दोपहर को, 30 से 35 किसान मंडी में एकजुट होकर मंडी प्रबंधन के खिलाफ नारे लगाने लगे। वे मांग कर रहे हैं कि भुगतान में देरी के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो। प्रत्येक का 10 से 20 हजार रुपए तक का भुगतान दोपहर तक अटका रहा।

मंडी में उपजों की आवक इन दिनों कुछ कम हो रही है। वह उत्पाद जो आया था, उसकी नीलामी हो गई है। 6 जनवरी को बही पार्श्वनाथ मेला (पौष दशमी) और 7 जनवरी को रविवार के आने के कारण, मंडी में इन दिनों नीलामी नहीं होगी।

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Neemuch New Mandi

नई नीमच कृषि उपज मंडी: लहसुन, मक्का मंडी होगी शिफ्ट और किसानों के लिए नई सुविधाएं

नीमच, एक प्रमुख कृषि क्षेत्र, अपने किसानों के लिए एक नई क्रांति का साकारात्मक मोमेंट में है। नई नीमच कृषि उपज मंडी के तीसरे चरण में हो रहे बड़े बदलावों ने कृषि समृद्धि की दिशा में एक नया मोड़ दिया है। इस मंडी में आने वाले नए वर्ष ने किसानों के लिए नए अवसर और सुविधाएं लेकर आये हैं, जिनसे उनकी जीवनशैली में सुधार होगा और उन्हें अधिक आत्मनिर्भर बनाए रखने में मदद होगी।

इस पोस्ट में, हम देखेंगे कैसे नई मंडी ने सुरक्षित और सुगम नीलामी, इलेक्ट्रिक तौल कांटा शिफ्ट, बैंक शाखा की सुविधा, नई शेड और गोदाम, नई उपज की नीलामी, और अन्य सुविधाएं किसानों के लिए कैसे लाभकारी हैं। इसके साथ ही, हम जानेंगे कैसे ये परिवर्तन क्षेत्र को नए आर्थिक और सामाजिक ऊर्जा के साथ भरा हुआ है।

सुगम नीलामी

  • चंगेरा-डूंगलावदा स्थित नई कृषि उपज मंडी परिसर में एक नई सुबह की शुरुआत हो रही है। मंडी प्रशासन ने 62 सीसीटीवी कैमरों की स्थापना की है, जो नीलामी की प्रक्रिया को सुरक्षित और निगरानी में बनाए रखेगा। इससे किसानों को अपनी उपज को बेहतरीन दामों पर बेचने का एक और सुरक्षित माध्यम मिलेगा।

इलेक्ट्रिक तौल कांटा शिफ्ट

  • नई मंडी में लगातार सुधार और नवाचार के साथ, 60 टन का इलेक्ट्रिक तौल कांटा शिफ्ट हो चुका है। इससे किसानों को उनकी उपज का सटीक तौल मिलेगा, जिससे उन्हें न्यूनतम दर पर उपज बेचने में मदद मिलेगी।

बैंक शाखा और सुविधाएं:

नई मंडी परिसर में बैंक शाखा की शुरुआत होने के साथ, किसानों को अपनी आर्थिक लेन-देन की सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही, एक कैंटीन भी शुरू हो गया है, जहां किसान 5 रुपए में भोजन कर सकते हैं।

Neemuch New Mandi
Neemuch New Mandi Shade

सुरक्षित और सुविधाजनक

  • सुरक्षा की दृष्टि से, 20 सुरक्षा गार्डों का तैनाती तीन शिफ्टों में किया जा रहा है, और 62 सीसीटीवी कैमरे सुरक्षा को बढ़ावा देंगे। इससे मंडी क्षेत्र में सुरक्षा और निगरानी की गारंटी होगी।

नई सुविधाएं और योजनाएं

  • नई मंडी में आने वाले महीनों में, और भी कई सुविधाएं शुरू की जाएंगी, जो किसानों को उनके काम को और भी आसान बनाए रखेगी। इसमें फ्री वाईफाई सुविधा, नए हाईमास्ट की स्थापना, और अधिक सुरक्षित रोशनी शामिल हैं।

नई शेड और गोदाम

  • नई मंडी में 244 व्यापारियों के गोदाम बन रहे हैं, जिससे किसानों को अपनी उपज को सुरक्षित रखने का और एक विकल्प मिलेगा। इसके साथ ही, दो नए शेड का निर्माण और हाईमास्ट की नई स्थापना सुनिश्चित करेगा कि मंडी क्षेत्र सजग रहे।

नई उपज की नीलामी

  • चंगेरा-डूंगलावदा मंडी में, गेहूं और प्याज की नीलामी पहले ही शुरू हो चुकी है, और तीसरे चरण में लहसुन और मक्का की नीलामी नई मंडी में शिफ्ट होने वाली है। नई उपज की नीलामी से किसानों को बेहतर दर पर उपज बेचने का मौका मिलेगा।
  • अन्य सुविधाएं -नए साल के साथ, मंडी प्रशासन ने योजना बनाई है कि मंडी परिसर में फ्री वाईफाई सुविधा भी दी जाएगी, जिससे सभी यहां आसानी से इंटरनेट का उपयोग कर सकें।

मूंगफली की खेती मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में होती है। इन राज्यों में खासतर से जून में बुआई की जाती है और अक्टूबर तक कटाई हो जाती है।

चंगेरा-डूंगलावदा स्थित नवीन मंडी परिसर में किसानों के लिए नाश्ते और भोजन के लिए कैंटीन की सुविधा आरंभ हो गई है। इसके साथ ही, कांटा को इलेक्ट्रिक तौल में शिफ्ट किया गया है। नए साल में, व्यापारियों और किसानों की मांग के अनुसार, प्रस्तावित अधिकांश सुविधाएं फरवरी माह तक शुरू की जाएंगी। लहसुन और मक्का की नीलामी भी फरवरी माह तक आरंभ होगी।

नई कृषि उपज मंडी के नए चरण में एक नई सकारात्मक दिशा है। किसानों को नई सुविधाएं और अधिक विकल्प मिलने से, उनकी जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन होगा। इससे नई मंडी में व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय आर्थिक विकास होगा।*

जय किसान, जय भारत!

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khargone mandi conflict

कपास मंडी में फिर हंगामा, सीसीआई के निए नए नियमों से क्यों परेशान हैं किसान

आनंद नगर स्थित कपास मंडी में कपास खरीदी के दौरान इस समय अव्यवस्था का माहौल है। शुक्रवार को स्थिति तब और बिगड़ गई जब सीसीआई ने ब्लॉक-स्तरीय बाजारों में नए खरीद नियम लागू किए, जिससे अस्थायी अराजकता पैदा हो गई। सीसीआई के नए नियमों से किसान और मंडी व्यापारी दोनों प्रभावित हो रहे हैं। एक सप्ताह में यह दूसरी बार है जब अव्यवस्था हुई है.इससे पहले खसरा नकल में कपास उपज के कारण अफरा-तफरी मची रहती थी।

khargone mandi conflict

सीसीआई के नए नियमों से व्यापारियों में तनाव

शुक्रवार को सीसीआई ने ब्लॉकवार मंडियों में खरीदी का नियम बदल दिया, जिससे हंगामे की स्थिति फिर से उत्पन्न हो गई है। मंडी व्यापारी बता रहे हैं कि नए नियमों के कारण मंडी में आवक कम हो रही है और खरीदी के दामों में भी बदलाव हो रहा है।

किसानों का आरोप: सीसीआई किसानों को नियमों का हवाला देकर क्यों बच रही है?

मंडी में पहुंचे किसान समय पटेल ने आरोप लगाया है कि सीसीआई किसानों को नियमों का हवाला देकर खरीदी से बच रही है। क्षेत्रीय मंडी में यदि सीसीआई को उनका कपास पसंद नहीं आया तो किसानो अपनी फसल कहां ले जाएगा?

भारतीय कपास निगम ने क्या कहा?

इस समय को देखते हुए, भारतीय कपास निगम ने खरगोन केंद्र पर खरीदी के दबाव को कम करने के लिए नए कदम उठाए हैं। खरगोन, भीकनगांव, बड़वाह, सनावद, कसरावद मंडियों में कपास की खरीदी की व्यवस्था को शुरू करने का निर्णय लिया गया है।

कपास मंडी में फिर हंगामा, सीसीआई के निए नए नियमों से क्यों परेशान हैं किसान Read More »

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