क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे देश के कृषि मजदूरों की आय में क्यों इतनी कमी है? जबकि कॉरपोरेट सेक्टर में वेतन में बढ़ोतरी की उम्मीद है, वहीं मजदूरों की आमदनी में बढ़ोतरी का सपना कहीं खो जाता जा रहा है।
देश के 20 करोड़ से ज्यादा कृषि मजदूरों की आय में सालाना 13 रुपए से भी कम की बढ़ोतरी हो रही है, यह बात हमें सोचने पर मजबूर कर देती है। पिछले पांच सालों में कृषि मजदूरों की दैनिक आमदनी में सिर्फ 64.63 रुपए की वृद्धि हुई है, जबकि गैर कृषि मजदूरों की आय में महज 61 रुपए का इजाफा हुआ है।
![क्या कभी हमारे कृषि मजदूरों की आय में वृद्धि का सपना सच होगा 2 Indian Farming labour wages](https://anajmandi.com/wp-content/uploads/2023/12/Indian-Farming-labour-wages.jpg)
श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, कृषि मजदूरों को रोजाना 400 रुपए से भी कम मिल रहे हैं, जो कि गंभीर है। मध्य प्रदेश में इनकी मजदूरी सालाना 6 रुपए बढ़ी है, राजस्थान में 14, बिहार में 13, हरियाणा में 7, गुजरात में 8 रुपए में भी स्थिति अच्छी नहीं है।
2018 में कृषि मजदूरों की दैनिक न्यूनतम आय 276.96 रुपए थी, जो अब 5 साल बाद 339.59 रुपए हो गई है, जबकि इसी दौरान गैर कृषि मजदूरों की आय में सिर्फ 61 रुपए की वृद्धि हुई है।
इस स्थिति में सवाल यह उठता है कि क्या हम नहीं चाहते कि हमारे कृषि मजदूरों को भी विकास का हिस्सा बनाया जाए? क्या इस समस्या का समाधान निकालने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए? या फिर हम ऐसे समय बर्बाद करते रहेंगे जब एक तरफ विकास हो रहा है और दूसरी तरफ मजदूरों की आय में महज कुछ रुपए की वृद्धि हो रही है?
इस समस्या का समाधान निकालने के लिए हमें सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक स्तर पर समृद्धि की दिशा में कदम उठाना होगा, ताकि हमारे मजदूर बंधुओं को भी समृद्धि का हिस्सा मिल सके।